Friday, March 14, 2014

बरखा , कश्ती , बुँदे


बरखा , कश्ती , बुँदे
कश्ती और बूंदे झूम रही हैं बरखा संग
हम रंग जाना चाहते हैं अपने पिया के रंग
सिमटके भीगे साथ में उनके लेके अपना बचपन संग
आजाओ हम बादल छू ले उड़ जाए हवा के संग

लोग हँसते हैं !


मुझपे हस्ते हैं वो फूल जो तुमने मेरे बालो में लगाया था ,
हसते हैं ये रास्ते जिनपर साथ चला करते थे तुम ,
हंसता हैं वो बादल जिसकी धुप को तुम हथेली से छाव किया करते थे ,
देखो बारिश की वो बुँदे हंसती हैं जिस'से बचाने को तुम अक्सर मुझसे लिपट जाया करते थे,
अब सर्दिया हो चली तुम्हारे दिए गर्म कपडे भी मजाक उड़ायेंगे ,
बस्ती के वो राहगीर जिन्हें देख तुम हाथ थामा करते थे मुझे चिढाएंगे,
तुम्हारे दिए तोहफे ताना कसने से बाज़ नहीं आते ,
कितनी दूँ आवाज़ तुम मेरे पास नहीं आते ,
अब तो मेरी साँसों ने भी मुझसे बग़ावत की हैं ,
दिल ने मेरे मुझसे, धडकनों के बंद होने की शिकायत की हैं ,
क्या ये शिकायत साँसों के साथ ठहर जायेंगी ,
या किसी दिन तेरे लौट आने की खबर आएगी ?
कहो इस कमबख्त ज़माने को खामोश हो ,
या मुझे खामोश होने की इजाज़त दे ,
नही मिला सकता मेरे महबूब से
तो मुझे रिहाई दे , क़यामत दे, मुझे क़यामत दे ,
मेरे अल्लाह मुझे क़यामत दे ....
अर्चना शर्मा
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बस "अमर प्रेम" रह जायेगा

बाल गणेश को प्रथम प्रणाम "
मेरी कविता "अमर प्रेम " शिव के चरणों में ,

जबसे तेरी प्रीत लगी इस जग से नाता टूट गया ,
लोक-लाज का झूठा दर्पण पल में सैयां जी टूट गया ,
तुम मेरे प्रियतम , प्राण -नाथ तुमपे मैं जाऊ वारी,
फिर क्या जो हंसी ठिठोली करती सखिया ये अल्हड सारी
तुम मुझमे हो, मैं हूँ तुमसे ही , क्या कोई समझ ये पायेगा ,
सब मिट जाए भी इस जग में मेरा "अमर प्रेम " रह जाएगा !
बस "अमर प्रेम" रह जायेगा 

मेरी दुनिया "तुम " में हैं !

मेरी दुनिया "तुम " में हैं ,
तुम" तो बस जानते हो पर , मैं तो तुम्हे जानती हूँ !
तुम मुझे मानते बहुत हो , पर मैं तो तुम्हारी हर बात मानती हूँ !
तुम सुबह का सूरज देखते हो , पर मैं रातभर अपना चाँद "तुम " में  देखती हूँ !
तुम सबकुछ भूल जाते हो , पर मैं सिर्फ तुम्हे याद रखती हूँ !
"तुम" दुनिया की परवाह करते हो , मेरी दुनिया "तुम "में हैं !
--------------------------------------------  "अर्चना शर्मा "

Thursday, March 13, 2014

मेरा प्रेम शिव हैं ...

मेरा प्रेम शिव हैं ...
जिसके शीश में चन्द्रमा सुशोभित हैं , जिनकी बेसभूषा से 'जीवन' और 'मृत्यु' का बोध होता है | शीश पर गंगा और चंद्र-जीवन एवं कला के दयोत्म है | शरीर पर चिता की भस्म ... जतजूटधारी, सर्प लपेटे, गले मे हड्डियों एवं नरमुंडो की माला और जिसके भूत-प्रेत, पिशाच आदि गण है! मैं उन्ही की उपासक हूँ , उन्ही से मेरा प्रेम हैं मैं पार्वती नहीं पर वो मेरे शिव हैं ,मेरे शिव हैं !
प्रगाढ़ प्रेम की प्रतिमा मेरे शिव मेरे महादेव ............
उनसे ही ये जगत वो ही जगत के पालनहार .......
अर्चना शर्मा

वो “रैना “ कब आएँगी ?


पहले तो ये बिंदिया घूँघट से उन्हें झाँका करती थी ,
ये चूड़िया कलाइयो में इतराया करती थी ,
मेरी माग में सिन्दुर्री सूरज बिखर के चमकता था ,
काजल मग्न थे पीया के दरस में ,
श्रृंगार से दर्पण की आँख मिचोली थी ,
जब मैं हर शाम मिला करती थी उनसे ,
अब वो बात नहीं हैं ,
नाही मिलन की बेला हैं वो रात नहीं हैं , रात ,
ये रात नहीं बस सियाह अँधेरा हैं ,
टूटा सा हिस्सा , कुछ उनका हैं कुछ मेरा हैं ,
अब मेरे कंगन तडपते हैं उनकी एक मुलाकात के लिए ,
विरह की अग्नि में तडपती हैं पायल हर रात के लिए ,
जलकर बुझते हैं, बुझके फिर सुलग उठते यादो के अंगारे,
ये जग झूठा हैं बस तुम ही सच हो मेरे प्राण प्यारे,
सारे जगत से मैंने मुह मोड़ लिया ,
मेरी ये पलकें क्या झूकी,
काजल ने आँखों का साथ छोड़ दिया ,
वह भी क्या बेला थी यह भी क्या बेला हैं
धड़कन की कम्पन अब भी हैं पर “ह्रदय “ अकेला हैं !
वह संग भी हैं पर पास नहीं ,
खुशिया तो हैं पर ख़ुशी का तनिक भी एहसास नहीं ,
ना जाने कब वो दिन आएगा जब “नाथ” मेरे आयेंगे
और पहली “रैना “ होगी “ जब हम जगे रह जायेंगे
फिर से चुनरी लहराएगी , चूडिया इतरायेगी , अंगूठी शर्माएगी,
सारी रात रहूंगी उनकी बाहों में जाने वो “रैना “ कब आएगी
.........................................................................अर्चना शर्मा 

Wednesday, March 5, 2014


कुछ पंक्तिया  "मेरे स्वामी " के लिए ...
मेरे मन में मेरे महादेव की मूरत बसती हैं,
जान के मुझको बांवरी दुनिया हंसती हैं,
मीरा तो थी दीवानी शाम की,
मैं तो हूँ उन्मत्त तेरे नाम की,
सूचि स्नेह समर्पित प्रियवर को,
प्रियतम मेरे, प्रेमपात्र के सागर को,,,
आलिंगन उनको तन मन से
जिनके शीश स्वयं गंगा बरसे,
 "सौहार्द " के इश , हैं कैलाशी,
घट -घट वासी अन्तर्यामी,
भोलेनाथ निराले "मेरे स्वामी ".....भोलेनाथ निराले "मेरे स्वामी "
अर्चना शर्मा